भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार / गोविन्द कुमार 'गुंजन'

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:14, 4 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोविन्द कुमार 'गुंजन' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दो पहाड़ों के बीच से
गुजर रही थी नदी
दोनों पहाड़ों ने की
उसकी उत्कंठ कामना

दोनों ने चाहा
उसका दामन थामना

मगर
पहाड़ मजबूर थे
वो झुक नहीं सकते थे और
नदी वहीं बहती थी
जहाँ तल बहुत नीचा था