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हाल / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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पेट छोटऽ मुँह बिकराल
रहतै की कोइये कंकाल
कौआ, कुत्ता, गीध, सियार
सभ्भे भेलै माले-माल।

पैतरा बदली, बदलै चाल
आँखी मटकें ठोकै ताल
कोय उछलै, कोइये गावै छै
बालऽ के खीचै छै खाल।

मरलऽ मुर्दा कनखी मारै
उल्लू झलकै डाले-डाल
चौक-चौराहा पिपरी सनमन
पहरा पर छाकै छै जाल।

खुशी मनावै हड़िया बर्त्तन
भांगै फूटै साले-साल
चुल्हो भसकी लोर चुवाबै
‘रानीपुरी’ पूछै छै हाल।