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उषा / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

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उषा धीरे-धीरे अपनोँ घूंघट खोलै
शीतल वयार संग हौले-हौले डोलै॥
ललकी किरा रंग चुनरी उड़ावै
खेतवा के आरि-आरि अंचरा टटोलै॥
पाते-पात कुहरा कण मोती जड़ावै
रेशमी पटोर रंग अंगे-अंग डोलै॥
खिललै गुलाब गाल लाले-लाल भेलै
‘रानीपुरी’ संग मिली सभे संग बोलै॥