भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गीत / गंगा प्रसाद राव
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:43, 14 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गंगा प्रसाद राव |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
गजुरै छै बीया एक फूलॅ के
ऐंगना के पार
महकै छै पहलै सें सौंसे घर द्वार
मातलॅ पुरबैया झकोरै छै विरवा केॅ
झूमै शराबी रं सौंसे ठो ठार
महकै मॅन चन्दन रं
लहकै कचनार
गजुरै छै बीया एक फूलॅ के
ऐंगना के पार-