भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मधुमास / विमल वर्मा
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:52, 14 जुलाई 2017 का अवतरण
झूलै सब डार पात, फूलै छै मनॅ के फूल
विरहिन के बढ़लॅ छै मनॅ के शूल
बैठलॅ छै ठारी, करी सोलहो सिंगार
कोयल जे पैलकै बसन्तँ के प्यार
नया ताल राग रंग घुंघरु के शोर
सुनी सुनी नाचै छै जंगलो में मोर
छलकै छै चाँदनी ज्यों चंदा के प्यार
कि दमदम कोच गोरी छै खाड़ी सब द्वार
लाल लाल ओठ भेलै फुल्लॅ पलास
उड़तै चुनरिया लै पागल बतास
पपीहा रॅ टेर सुनी ऐंठै छै देह
सालै छॅ सूना में पिया के नेह
सिहरै छै अंग अंग टूसै रं मॅन
लुटियो नै जाय कहीं सोनॅ रं तॅन