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तिम्रो सामीप्य / भीमदर्शन रोका

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जति जति म तिम्रो वर वर पु्ग्छ
लाग्छ उत्ति नै झन् पर पर हुन्छु
यो कस्तो सफर ?
मृत्यूभन्दा पनि पर
निकटताभन्दा कोसौँ दूर
जहाँ जीवन शुरु हुन्छ
म जन्मिरहन्छु जन्मिरहन्छु
मभित्रको बच्चामा ।