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पति-पत्नी और प्रेम / गौरव पाण्डेय

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मैं एक बच्ची का पिता हूँ
जिसे मेरी पत्नी ने स्वप्न में रचा था
जब वह किसी की प्रेमिका थी

पत्नी बताती है
जब वह जीवन के सबसे मीठे स्वप्न में थी
तब झील के किनारे उसे छोड़कर भागा था
कोई मुँह चोर- बुद्ध सा

बरसों पहले
अपनी चोंच में एक तिनका दबाए
मेरे सामने खड़ी थी एक चिड़िया
और मैं समुद्री यात्रा पर चला गया
चिड़िया का घोंसला उजड़ा जब
मैं उसी पेड़ के नीचे कविताएँ लिख रहा था

जब अपनी पत्नी के पास होता हूँ
आधी रात प्रेम का एक और निवेदन करते हुए
प्राय: किलक उठती है बच्ची
पंख फड़फड़ाती
तब बच्ची का चेहरा
उस चिड़िया से बहुत मिलता है...