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कामना / संजीव कुमार
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दीप जलायें जन के पथ पर,
छायामय हो मार्ग हमारा
हम हों विश्वबोध के रथ पर।
नवयुग का आनंद उठायें
दीन हीन को भूल न जायें
हटे अंधेरा जग से मन से
सब मिलकर ही दीप जलायें।
विश्वग्राम में सुख की धारा
नित्य नई चीजों में संचित,
मानव का धन केवल मानव
सच से कभी न हों हम वंचित।
दीप उठाये लघुतम कर हो
भावी का पथ आलोकित हो
लिए आत्मा करुणा का धन
सबके हित पर ही मोहित हो।