भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अस्तव्यस्त परिदृश्य / संजीव कुमार

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:04, 23 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संजीव कुमार |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कुछ महान व्यक्ति
कुछ अन्य महान व्यक्तियों से
अधिक महान होते हैं,
कुछ संगठन दिखते हैं उदार
कुछ सफल और चमकदार होते हैं।

जो धर्मान्ध हैं
वे अवश्य समझदार हैं लड़ते रहने के लिये
कुछ धार्मिक हैं और कुछ आस्तिक
अपने अपने ईश्वर की शक्ति लिये हुये
संघर्षरत ईश्वर से सदा
वे भी वाकई
नास्तिकों की तरह दमदार होते हैं।

शिक्षित सभ्य भद्रजन
रखे हुये हैं मौन,
सिर हिलाकर जताते हैं असहमति
मतभेद, असहमति और विरोध
की अपनी गौरवशाली परंपरा से आत्मतप्त
अपने अंतस में रखी ज्ञानशिला के कारण
स्थिर, अकंप और वजनदार होते हैं।

महानों की महानता
उदारों की उदारता की तरह सार्थक है
अग्रजन वरेण्य
एक दूसरे के लिए अपशब्द नहीं कहते
पर समर्थक और अनुयायियों को
रखते हैं खबरदार,
कुछ तो दिखते हैं ज्ञानवान भी
कुछ को मिलता है अवसर शासन करने का
उनके भाल चमकदार दिखते हैं।

सभी महापुरुषों की तरह
प्रशंसित होंगे सभी महापुरुष
सभी महापुरुषों की तरह ही
पूजे जायेंगे सभी महापुरुष,
कहानी की तरह रोचक उनका जीवन
पढ़ा जायेगा जब गढ़ा जायेगा,
उनका भी जो बढ़े निंदा के ब्याज से
और उनका भी जिन्हें
आश्रय मिला शासन का,
वे जिन्हें उछाला घृणा की मौज ने
वे भी जिन्हें हिकमतों ने सम्हाला,
रखे जायेंगे अनश्वर स्मृति में।

जिन्होंने संघर्ष किया जन के लिए
जो लड़े समय के साथ
उन्हें अवश्य छोड़ दिया जायेगा
जनता के अरण्य में
उगने और बढ़ने के लिए,
जिन्होंने थामी ध्वजा ज्ञान की
और जो चले तर्क की धार पर,
उनका भी लिया जायेगा नाम
गीत कुछ उनके लिए भी लिखे जायेंगे
भूमिका और उपसंहार को पूरा करने के लिए।

महानता की खाद पानी से पुष्ट
फसलें होंगी दानों से भरपूर,
चरागाहों में रौंदी जायेगी घास
रास्तों पर उठेगी धूल
विश्वास के जलते हुये दीपकों के नीचे
अंधेरे में रेंगते कीट बढ़ते रहेंगे,
रात का स्वागत करते हुये उठेंगे आग्रह
थपकियों से डरे हुये स्वप्न
डूब जायेंगे
साधारणता की दूर प्रसारी ध्वनि में।