Last modified on 26 अगस्त 2017, at 13:35

जबाव बंद हैं / स्वाति मेलकानी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:35, 26 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वाति मेलकानी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तैयार जवाब बंद हैं लिफाफों में
और
धूल भरी दरी के नीचे
दब गये हैं सवाल
इसी के ऊपर चादर बिछाकर
बैंठे हैं वे
जिनकी जवाबदेही बनती है।
चादर सफेद है
धुली
और सूखी
जैसे होते हैं
वे मस्तिष्क
जिन्हंे पाँलीहाउस में उगाया जाता है।
क्योंकि
असली सूरज से तपा
और खुली जमीन पर उगा
हर दिमाग
सीख ही जाता है
धूप में काला
और ठंड में लाल होना।
भर जाता है सुर्ख सवालों के
रंगीन बवंडर से
और कभी न कभी
चादर को उलटकर
दरी झाड़ देता है।