भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

टीस / अविरल-अविराम / नारायण झा

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:27, 29 अगस्त 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नारायण झा |अनुवादक= |संग्रह=अविरल-...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तकैत छथि कवि
बैसि ऊँचका चबूतरासँ
मिस्स पड़ैत महानगरमे
गामक गोइठबीछनी
मुरेठा बान्हल माथ

अकानै छथि कवि
शहरक ध्वन्यालापमे
दुखनीक दु:ख
फेकनीक संगे जे घटलै

करै छथि कवि गणित
एसी घरमे
रौदी-दाही पर
माछ-मखानक लगता पर

ठठै छथि कवि
अट्टालिकामे रहि
मड़ैयाक ठाठ, कोनियाँ
आ बुनै छथि टाट-फरक

लेबै छथि कवि
शीशमहलसँ
घरक दाबा
नीपै छथि
गोबरसँ अंगना- ओसार।

कविक सिहरै छनि देह
पड़ले-पड़ल
सुनलाक ढ़ोलिया जकाँ
धोइध बढ़ा कवि
मारै छथि अर्राहटि
प्रसव-पीड़ासँ
लिखै छथि व्यथा -कथा -स्रष्टाक

कवि लिखै छथि गठूल्लासँ
समुद्रक ज्वार-भाटा
करै छथि कवि
लाइवटेलिकास्टिंग व्हाइट हाउसक
अन्तर्ध्यान भS
देखै छथि कवि
घरक कोनटासँ तीनू भुवन।

कवि लिखैत छथि
लिखिये रहल छथि
कल्पनाक अनन्त अकास
जोड़ै छथि
भावनाक पैघ-पैघ महल
तखन
डेगाडेगी डेगे यथार्थक रस्ता पर
दौगबै कहिया
आ पुरबै बाँहि सभहक संगे
कहिया।