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विकासक होहकारा / अविरल-अविराम / नारायण झा
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कटि रहल छै
अंडी, बघंडी
आम, जामक गाछ
पड़ि रहलैए दिवा-राति
विकासक होहकारा।
जे०,सी०,बी० केर चक्का
साटि रहल छै माटि मे
हरियर कचोर गँहुम
गम्हरायल धानक बीट केँ।
चअड़-चाँचड़िक
खत्ता-खुत्ती आ पोखरिक
माछ, काछु सभहक
डोलि रहल छै
पेटक पानि ।
परती-परांत
जतय थुथनाबै छल
माल-जाल अपन थुथुन
कहाँ बचि पओतै आब?
पसरले जा रहलैए
मानव-आवासक महाजाल
अट्टालिका पर अट्टालिका
एक महादेश स' दोसर महादेश धरि
लागिये जेतै एकपेरिया।