Last modified on 9 अक्टूबर 2017, at 14:18

दस्तक / तुम्हारे लिए / मधुप मोहता

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:18, 9 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मधुप मोहता |अनुवादक= |संग्रह=तुम्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इससे पहले कि ये रात फिर बदले पहलू,
इससे पहले कि हर शम‘अ गुल हो जाए,
इससे पहले कि ख़्वाब की हर रंगीनी,
फिर सियह रात को ओढ़े, और सो जाए।

इससे पहले कि मैं-मैं और तुम-तुम न रहो,
इससे पहले कि हर हर्फ़ आँसुओं में धुले,
इससे पहले कि दिल पिघले, लहू हो जाए,
फिर से आँखों में उतर आए, सुखऱ् हो जाए।

इससे पहले कि तुम उठो, फिर से खो जाओ,
इससे पहले कि सहर नींद के दर दस्तक दे,
इससे पहले कि कोई तुमसे-मुझसे कुछ कह दे,
ज़रा सा वक़्त है, आओ कि इश्क़ हो जाए।