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सच या झूठ / प्रीति 'अज्ञात'

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'सच'
जैसे झूठ की हज़ार खिड़कियों के बीच
बिलबिलाती, नीली पड़ी उंगली
'झूठ' के सौ मुँह
सच की बस एक ज़ुबाँ
झूठ, जैसे मिशरी की डली
सच का न कोई हमनवां
झूठ, कोरी अंधभक्ति
सच एक ठहरा विश्वास
सच, गंगा-सा पवित्र
झूठ, उसमें बहती लाश

सच, चमचमाती हुई किरणें
झूठ, बादलों में छुपा सूरज
सच, जैसे किसी का लहुलुहान सर
झूठ, मुस्कुराने की कोशिशों में जुटी
हारी माँस-पेशियों से जूझता
कोई नाक़ाम मूरख

सच, जैसे झूठ की पीठ पर लदा
एक मासूम बच्चा
अनभिज्ञ छल-कपट से
दुनिया के लिए कच्चा
आह, दुर्भाग्य!
विशालकाय झूठ के आगे
सच का क़द कितना बौना
झूठ, शोकेस में सजी बार्बी-डॉल
सच, ग़रीब बच्चे का टूटा-खिलौना

हाँ, झूठ के बाज़ार में यही तो
बिकता आया है
जो सामने दिखा, वही सत्य
आदमी के भीतर के आदमी को
भला कौन जान पाया है

सबका अपना-अपना सच
झूठ, खुद को बचाती, मज़बूर तबाही
सच, एक निर्दोष का सज़ा पाना
झूठ, चन्द पैसों में बिकी गवाही
'झूठ', सच की अनचाही 'सौत'
'सच' एक जवान लड़की का
तथाकथित प्रेमी द्वारा अपहरण
'झूठ' अख़बार में छपी
'एक गुमशुदा की मौत'