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मेरे गाँव में / जय चक्रवर्ती

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खुल गया है बंधु!
शॉपिंगमॉल मेरे गाँव में

लगी सजने कोक,पेप्सी
ब्रेड, बर्गर और
पिज्जा की दुकानें
आँख मे पसरे हुए हैं
स्वप्न
मायावी–प्रगति का छत्र तानें
आधुनिकता का बिछा है
जाल मेरे गाँव में

हँस रहें हैं
पत्थरों के वन
सिवानों और खेतों के वदन पर
ढूँढती दर-दर
सुबह से शाम गौरैया
वही घर–वही छप्पर
हैं हताहत कुएं, पोखर,
ताल मेरे गाँव में

उत्सवों की पीठ पर
बैठे हुए हैं
बुफ़े, डीजे और डिस्को
स्नेह, स्वागत,
प्यार या मनुहार वाले स्वर
यहाँ अब याद किसको
मौन है अब गाँव की
चौपाल मेरे गाँव में