सुख में -दुख में 
रीझ-खीझ में / रहीं संगिनी 
              'थैंक यू', सजनी 
 
प्रभु की किरपा 
मिलीं हमें तुम घनी छाँव-सी 
हँसी तुम्हारी 
पहली ऋतु के सुखद ठाँव-सी 
 
साधी हँसकर
बाधाएँ जो आईं अनगिनी 
             'थैंक यू', सजनी 
 
राग हमारा रहा एक 
यह सुख क्या कम है 
तुम सँग जीकर
सिद्ध हुआ यह, सुनो, जनम है 
 
हमें न व्यापी 
शोक मोह की कभी डाकिनी 
              'थैंक यू', सजनी 
 
साँसों की यह यात्रा  
जब भी होगी पूरी 
यह संतोष रहेगा 
हममें रही न दूरी 
 
बनी रहेगी 
सँग की इच्छा चिर-सुहागिनी 
             'थैंक यू', सजनी