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पूरा घर रोमांस हुआ / कुमार रवींद्र

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हमें याद है वह दिन
जब था
पूरा दिन रोमांस हुआ

एक कोठरी थी भीतर की
जहाँ देवघर था घर का
हुआ अचानक वह था, सजनी
मंदिर ढाई आखर का

तुमने पूजा था
देवों को
जिस मंतर से - ख़ास हुआ

पर्व हुआ था पूरा दिन वह
हमने देखा था अचरज
नीचे आँगन में चंदा था
ऊपर छत पर था सूरज

चौखट-चौखट
बजी पैंजनी
हर कमरा था रास हुआ

तुमने छुआ
सभी दरवज्जे बोले -
स्वागत है भौजी
खिड़की के पल्ले भी झूमे
हुईं हवाएँ मनमौजी

साँसों में साँसें
उलझीं थीं -
वह दिन अब इतिहास हुआ