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राम-लीला गान / 2 / भिखारी ठाकुर
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हरि कीर्तन
प्रसंग:
राम-जन्म पर उन्हें भगवान का अवतार मानकर साधु-संतों द्वारा उनकी पूजा-अर्चना का वर्णन।
सावन सुहावन जनावत, राम-राम हरे-हरे!
सज्जन-साधु अजोध्याजी आवत, झूला सरकारी झुलावत; राम-राम हरे-हरे!
धूप, दीप, नइबेद चढ़ावत गला में माला लगावत; राम-राम हरे-हरे!
चंदन, इतर, फूल बरसावत, सनमुख दरसन पावत; राम-राम हरे-हरे!
आरती बारत, कपूर जरावत, घरी-घंट-संख बजावत; राम-राम हरे-हरे!
सरधा से गीत ‘भिखारी’ गावत, असहीं लगन मनावत; राम-राम हरे-हरे!