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राम-लीला गान / 9 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

राम-लक्ष्मण का जनक-फुलवारी में घूमना और सीता की सखियों की प्रतिक्रिया।

राम स्याम धनुधारी, लखन गोर उजियारी; प्रान ललचत बा हमारी, लखि जुगल किसोर को।
आये देखन फुलवारी, जहाँ गिरिजा-त्रिपुरारी; बिनु पनही सवारी, चरन कमल चित-चोर के।
जइसे मछरी को बारी, अउर बच्चा को महतारी; ओइसे मोके अवधबिहारी, प्रिय घटा घन मोर को।
करि जग की रखवारी, तारी गौतम की नारी; सो ‘भिखारी’ को तारी’ कहै कर जोर को।