भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
राम-लीला गान / 17 / भिखारी ठाकुर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:07, 2 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्रसंग:
श्री रामचन्द्र के विवाह-संस्कार की कुछ प्रचलित लौकिक रस्मों का वर्णन।
खास जनवास गुलपास-इतरदान हे। गान-बाज-नाच होता अप्सरा के तान हे॥
छीपी में मसाला, पनझोरा में बा पान हे। दुलहा का पास दसरथजी महान हे॥
जहँ-तहँ धीर-बीर घूमत मैदान हे। कर गहि ढाल-तलवार बे-मेयान हे॥
एहि बिधि होता बरनेत के बिधान हे। चललन बशिष्ठ मुनि ज्ञान के निधान हे।
गौरी गणेश के भइल सनमान हे॥ गहना चढ़ल, नारी गावे गारी गान हे॥
माड़ो में बैइठले जनक जजमान हे। सतानन्द पंडित जी पुरोहित पूज्यमान हे।
कहत ‘भिखारी’ जेकर कुतूपुर मकान हे। सिरी मिथिलेस आजु करिहन कन्यादान हे॥