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राम-लीला गान / 19 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
विवाह के बाद श्री राम दुलहा दुलहिन सीता को लेकर मिथिला से विदा हो जायेंगे-यही बात मिथिलावासियों के मन में संताप दे रही है।
सामली सुरतिया, दिल में मोहनी मुरतिया; रामजी दुलहा!
गड़ि गइलन कोसिला-किसोर; रामजी दुलहा!
प्रीतिया लगाइ काइ कइके चलि जइबऽ; रामजी दुलहा!
मिथिला से कहइबऽ चितचोर; रामजी दुलहा!
नीके चित लावऽ, रहि के छप्पन भोग लगावऽ; रामजी दुलहा!
बनि जा चनरमा, हम चकोर; रामजी दुलहा!
कहत ‘भिखारी’ नाई चरन में लपटाई; रामजी दुलहा!
जानि गइलऽ मतलब मोर; रामजी दुलहा!