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राम-लीला गान / 20 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

श्रीराम-चरित्र के विवाह के समय बारात एवं मण्डप आदि की सजावट का वर्णन।

गँइयाँ घेराइल, आइल राम के बरात हे। जनकपुरी में बाटे मंगल गवात हे॥
बाग में समियाना भरल तमुआ कनात हे। चमकत तलवार हाथी घोड़ा हेहनात हे॥
सब केहू करत बाड़े आपुस में बात हे। नाच-घर के रचना केहू से नइखे कहात हे॥
माड़ो में हरिअर-हरिअर मनिन के पात हे। जेहि घर में बास कइली जगत के मात हे॥
कहत ‘भिखारी’ मन बाटे पछतात हे। दुलहा के साथ हम रहितीं दिन-रात हे॥