भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भजन-कीर्तन: कृष्ण / 9 / भिखारी ठाकुर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:50, 3 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=भज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रसंग:

श्रीकृष्ण का झूला पर झूलने का वर्णन।

झूला पर झूलत श्री महराज॥टेक॥
धर्म हेतु अवतरेउ लाल जी, मुदित बा सकल समाजा॥ झूला पर.॥
राम-कृष्ण कहि कजरी गावत, विविध भाँति गतिबाजा॥ झूला पर.॥
रेशम डोर जरित मणि मुक्ता मोर मुकुट सिर साजा॥ झूला पर.॥
दास ‘भिखारी’ आस चरन के साहेब गरीब-नेवाजा॥ झूला पर.॥