भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भजन-कीर्तन: कृष्ण / 15 / भिखारी ठाकुर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:54, 3 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भिखारी ठाकुर |अनुवादक= |संग्रह=भज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
प्रसंग:
श्रीकृष्ण के गोकुल छोड़कर मथुरा जाने के बाद। भक्त को श्रीकृष्ण दर्शन की कामना।
नजरिया से एको छन विसरत नइखन श्याम।
ताकत राह चाह मोहन के दिन-रात आठो याम।
भूषण बसन असन प्रीतम बिनु लहकत बाटे धन-धाम॥
गोकुला त्यागि-लागि, कवने रिस कइलन मथुरा मोकाम।
कहत ‘भिखारी’ युगल चरनन में बार-बार प्रणाम॥