भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अनकहा रह जाएगा / इंदुशेखर तत्पुरुष
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:54, 3 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
यह मेरी
आत्मा का नाद है
जो तुम्हारी देह में बजकर
विलीन हो जाना चाहता तुममें ही
ओ मेरी बांसुरी!
तुम बिन,
अनकहा रह जाएगा यह
भटकता रह जाएगा।