भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वसंत आएल / भावना
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:05, 3 जनवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भावना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBajjikaRachna}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
महुआ रसाके चुए लागल
बाग में कोयलिया बोले लागल
बउरा के मन जब झूमे लागल
त∙ लागल हमरा वसंत आएल,
आम के पेड़ मजर गेलक
फूल पराग से भर गेलक
लची फरल घंउछे- घंउछे
त∙ लागल हमरा वसंत आएल,
मन हम्मर नाचे भंओरा संगे
तितली जइसन उड़े अकास
फगुआ में जब फाग सुनली
त∙ लागल हमरा वसंत आएल,
जारा से ठिठुराएल तन-मन
रउदा में हुलसल हरसाएल
बउराएल हवा हमरा बउरएलक
त∙ लागल हमरा वसंत आएल,