तिनका-तिनका बिखरे राष्ट्र को,
जोड़ा तुमने चहकते घोंसलें सा।
सम्बल दिया विकट घड़ी में,
सिसकते शिशु को बुलंद हौसले सा।
लौहपुरुष! हे नायक-अधिनायक!
राष्ट्रवाद, एकीकरण के परिचायक!
शत्-शत् नमन तुम्हें, हे! निजस्वार्थ से विमुख वैरागी।
कृषक-पुत्र अमर विभूति तुम दृढ़ देशानुरागी।