Last modified on 7 फ़रवरी 2018, at 14:05

क्या लिखूँ / गोरख प्रसाद मस्ताना

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:05, 7 फ़रवरी 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लिख दूँ गंध सुगंध फूल या,
तितली वाला प्यार लिखूँ
धरती पर पग धरे रहूँँ या
सपनो का संसार लिखूँ

एक पिलाती निज वक्षों का क्षीर प्राण भर देती
एक थके मादे तन मन की पीड़ाएँ हर लेती
अर्धांगिनी प्रिया लिख दूँ या माई का उपकार लिखूँ

सींचा लहू डाल माली ने लाल गुलाब बना हूँ
पुत्रो के सम्मान स्नेह सें मै आकंठ सना हूँँ
बेटों के प्रति मोह लिखूँँ या पिता को शत आभार लिखूँ

साँस बेचकर जिया है मैनें आशा ही है संबल
बिखरा चारो ओर यहाँ पर धोखे का ही जंगल
नदी निराशा की लिख दूँ या नाव लहर पतवार लिखूँँ

श्वसन दीप इस पल मद्धिम उस पल में तीव्रतम जलता है
कभी दिलाशा देने लगता कभी लगे खलता है
लिख दूँ तमस घनेरा या आशा की लौं उजियार लिखूँँ

बसंत का उत्सव इस पल उस पल अश्रु वर्षण है
है अशोक वाटिका ये पल मे क्षण भर में मधुवन है
दुविधाओं के दोहे लिख दूँँ या सुरम्य श्रृंगार लिखूँ।