दोहावली / रमेशकुमार सिंह चौहान
1.
आमा रस कस प्रेम हे, गोही कस हे बैर।
गोही तै हर फेक दे, होही तोरे खैर॥
2.
लालच अइसन हे बला, जेन परे पछताय।
फॅसके मछरी हा गरी , अपन जाने गवाय॥
3.
अपन करम गति भोग बे, भोगे हे भगवान।
बिंदा के ओ श्राप ले, बनगे सालिक राम॥
4.
करम बड़े के भाग हा, जोरव ऐखर ताग।
नगदी पइसा कस करम, कोठी जोरे भाग॥
5.
लाश जरत तै देख के, का सोचे इंसान।
ऐखर बारी हे आज गा, काली अपन ल जान॥
6.
नई होय छोटे बड़े, जग के कोनो काम।
जेमा जेखर मन लगे, ऊही ले लौ दाम॥
7.
सक्कर चाही खीर बर, बासी बर गा नून।
कदर हवय सबके अपन, माथा तै झन धून॥
8.
निदा निन्द ले धान के, खातू माटी डार।
पढ़ा लिखा लइका ल तै, जिनगी अपन सवार॥
9.
महर महर चंदन करय, अपने बदन गलाय।
मनखे ला कोने कहय, देव माथे चढ़ाय॥
10.
सज्जन मनखे होत हे, जइसे होथे रूख।
फूलय फरय दूसर बर, चाहे जावय सूख॥
11.
अपने बस इद्री करय, बगुला करके ध्यान।
करय जेन अइसन बुता, ओखर होवय मान॥
12.
गली गली छेकाय अब, रद्दा रेंगव देख।
दिखय गली चाकर कहू, ओला तैं ले छेक॥
13.
बनवा लव चौरा बने, बाजू पथरा गाड़।
घर के पानी डार दौ, गली म जावय माड़॥
14.
रद्दा छेके तै बने, दूसर बर चिल्लाय।
अपने आघू शेर तै, पाछू म मिमीआय॥
15.
गली कोलकी हे बने, बने न आवत जात।
मतलब कोनो ला कहां, स्वार्थी हवय जमात॥
16.
टूरा कस टूरी दिखय , जिंस पेंट फटकाय।
कनिहा ले बेनी कहां, चुन्दी ले कटवाय॥
17.
टूरी कस टूरा दिखय लंबा चुन्दी भाय।
चिक्कन चांदर गाल हे, मेछा हे मुड़वाय॥
18.
बड़का मन हा करय कुछु , देवय कोने दोस।
ऊही ला छोटे करय, सबो उतारे रोस॥
19.
हर भाखा के कुछु न कुछु, सस्ता महँगा दाम।
अपन दाम अतका रखव, आवय सबके काम॥
20.
दुखवा के जर मोह हे , माया थांघा जान।
दुनिया माया मोह के, फांदा कस तैं मान॥
21.
ये जिनगी कइसे बनय, बिखर कहूं ये जाय।
मन आशा विश्वास तो, बिगड़े काम बनाय॥