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प्रसव कक्ष में / सीमा संगसार

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प्रसव कक्ष में चीखती औरतें
असभ्य मानी जाती हैं
बचपन से ही इनके मुँह में
जड़ दिया जाता है ताला
ताकि वह इसे खोलने की
हिमाकत न कर सके!
इसीलिए नाक-कान छेद कर
इन्हें जकड़ा जाता है बेड़ियों में...
प्रसव कक्ष में चीखती औरतें
घुट–घुट कर रोती हैं
इनके रुदन और संताप से
जन्म लेते हैं
मुट्ठी भींचे हुए
ललछौहें नवजात शिशु
लाल लाल गुलाब की तरह!
प्रसव कक्ष में चीखती औरतें
खून के छींटे से लिखती हैं
अपने वलिदान और संघर्ष की गाथा
उनके लाल लहू से
हम उतारते हैं समूची पृथ्वी का ऋण
ताकि हमारी अगली पीढियाँ
करती रहे हमारा अनुसरण!
प्रसव कक्ष में चीखती औरतें
किसी वर्ग में नहीं गिनी जाती हैं
न इनका कोई वाद होता है
ये बस औरतें होती हैं...

और / शिशु बस शिशु होता है
वर्ग विहीन / जाति विहीन

इस दुनिया का सबसे पवित्र कक्ष
प्रसव कक्ष है...