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सहिष्णुता के शैतान तुम्हारी ऐसी तैसी / दयानन्द पाण्डेय
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पाखंड के दरबान तुम्हारी ऐसी-तैसी
सहिष्णुता के शैतान तुम्हारी ऐसी तैसी
दुनिया दहल रही है फिर भी तुम ख़ामोश
डबल स्टैंडर्ड के निगहबान तुम्हारी ऐसी तैसी
आतंकवादियों की पैरवी में तुम लगाते जी जान
मनुष्यता को करते लहूलुहान तुम्हारी ऐसी तैसी
धर्म तुम्हारा हथियार , मनुष्यता तुम्हारी दुश्मन
हिप्पोक्रेसी की हो खान तुम्हारी ऐसी तैसी
जाति तुम्हारा वोट , दंगाई तुम्हारी ताकत
निरंकुश सत्ता के सुलतान तुम्हारी ऐसी तैसी
सरकार तुम्हारी रखैल, देश तुम्हारे ठेंगे पर
कारपोरेट के बेईमान तुम्हारी ऐसी तैसी
कुत्ता तुम्हारा दोस्त, गाय तुम्हारी दुश्मन
दोगलई है पहचान तुम्हारी ऐसी तैसी