भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
लड़की / मुक्ता
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:42, 2 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुक्ता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <po...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
पिता के पिता ने कहा था बंद रखो दरवाजों को
पिता ने कहा बंद रखो दरवाजों को
लड़की नें चौकस बंद रखे दरवाजे।
सुलगती आग में रोटी सेंकती लड़की ने
खुली खिड़की से
लगा दी छलांग
अन्तरिक्ष की ओर।