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प्यार की दुनियाँ सजाना चाहती हूँ / रंजना वर्मा

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प्यार की दुनियाँ सजाना चाहती हूँ
ख़्वाब को अपना बनाना चाहती हूँ

आसमाँ से तोड़ कर लाऊँ सितारे
आग पानी में लगाना चाहती हूँ

जो हृदय पर चोट खाये हैं उन्ही के
घाव पर मरहम लगाना चाहती हूँ

जिंदगी हर मोड़ पर है जख़्म देती
मैं ग़मों से दूर जाना चाहती हूँ

दर्द आहों आँसुओं की जिंदगी से
फसल अपना बढ़ाना चाहती हूँ

जिंदगी भर स्वार्थ को ही है सहेजा
दूसरों के काम आना चाहती हूँ

हौसलों के ख़ुशी के उल्लास के अब
गीत मैं भी गुनगुनाना चाहती हूँ