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उमड़ती नदी आज जज़्बात की / रंजना वर्मा

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उमड़ती नदी आज जज़्बात की
हुई बेमज़ा रात बरसात की

न हमदर्द कोई मिला सामने
लगी है झड़ी खूब आफ़ात की

करे जब भी दिल आप आ जाइये
नहीं कोई रुत है मुलाक़ात की

मिले दिल से दिल कोई कम तो नहीं
ज़रूरत नहीं कोई सौग़ात की

बना ग़र लिया दोस्त दिल से कोई
न फिर सोचिये उसकी औकात की

पलट कर नहीं देखता जो कभी
उसे क्या खबर अपने हालात की

खड़ा रब हमारे अगर साथ तो
करें फ़िक्र क्यों हम किसी बात की