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मगध जननी (तर्ज झूमाड़) / कृष्णदेव प्रसाद

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मगध जननी
(तर्ज झूमाड़)

सुन्दर बसुधा
मगध जननी
(मोर) जलमधरनी
जहां सुख देहे प्रकृति दिवस रजनी ॥1॥

उत्तम धरनी
मनोहरनी
बनी माधवनी
से हो लाजे लजाय लखे अवनी ॥2॥