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स्वागत, रितुराज (तर्ज होली) / कृष्णदेव प्रसाद
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करअ स्वागत हो करअ स्वागत!
करअ स्वागत जी रितुराज के ॥1॥
पंछी के स्वागत, गाछ के स्वागत!
स्वागत सुमन समाज के।
आम असोका के स्वागत, स्वागत।
मह्वा सुगंध सिरताज के ॥2॥
सीत बिदा करअ रूई जुदा करअ
लाभ कउन बिन काज के।
देदअ तिलांजुलि सोग समाज के
चिन्ता के अउरो लाज के ॥3॥
सकल लोग होली मिलि गावहु
ढोल झांझ डम्फ साज के
भूत भविष केरी चिन्ता बिसारह
ध्यान घरह सब आज के ॥4॥