Last modified on 12 अप्रैल 2018, at 15:32

शोक-समाचार / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:32, 12 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बिजलियों की शिरोरेखाएँ खींच-खींच कर-
नक्षत्रों के अक्षरों में, मेरी ऊष्मिल साँसों ने
जो गीत लिखे थे-
वे अब नहीं रहे!

वही-उसी बहुत पुरानी
पगडंडी के मोड़ पर से वे गुज़र रहे थे,
धूप बड़ी कड़ी थी,
लू लग गई-
बचाये न जा सके!