Last modified on 12 अप्रैल 2018, at 17:07

दूर-काले बादलों में / रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण'

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:07, 12 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वरलाल खंडेलवाल 'तरुण' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दूर-काले बादलों में डोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
हाय, सावन के पवन में बोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!

चाँदनी हो या अँधेरी,
जेठ या मधु-ऋतु, शरद है-
भूमि की जलवायु में ही
चिर जल है, चिर दरद है!

हाय, जलते प्राणों में रस घोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में...

बन्धनों की इस धरा पर
हाय, बन्दी गान मेरे,
साँस पर रक्खीं शिलाएँ,
छटपटाते प्राण मेरे!

मुक्त नभ में मुक्त पाँखें खोलती चिड़िया,
हाय, जलते प्राण मंे रस घोलती चिड़िया,
मुझे भी साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में...

शुष्क मेरे कंठ को तू-
दे, न दे, संगीत-लहरी-
किन्तु मेरी पीर में तो
यों न बन तू हाय, बहरी!

हाय, घुँघराले घनों में बोलती चिड़िया-
हाय, जलते प्राण में रस घोलती चिड़िया-
मुक्त नभ में मुक्त पाँखें खोलती चिड़िया-

मुझे भी साथ लेती जा!
पवन में साथ लेती जा!
दूर-काले बादलों में...