Last modified on 15 अप्रैल 2018, at 12:03

वी कैन डू एनीथिंग / हेमा पाण्डेय

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:03, 15 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमा पाण्डेय |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रंग है जितने जीवन के
रंग बिरंगी है उतनी
आज कहानी युवती की
खूब कमाने, खूब खर्च
नए दौर की ये युवती
मुहावरे बदल दिए जीवन के
एनीथिंग कर गिरिफ्त
परिश्रम पड़ा है ज्यादा
संघर्षो कर सामना
हो गयी है वह सझम
खुद को करे सिढ
मुश्किल रहा सफर
बावजूद घर, सम्माज के
बन्धन कर डाले ढीले
ख़ास मुकाम बना डाला
ये गुर सीख लिया है प्यारे
आत्मविशवास की वह सीढ़ी
औरो ने भी चढ़ डाली
सफर रहा जोखिम से भरा
कहलाया रोमांच भरा
पीछे मुड़कर देखा जब
सफलता अपने संघर्षो की
मन पुलकित हो गया कभी
अपनी पीठ थपथपाई तभी तभी॥