भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गवाक्ष / सुनीता जैन

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:21, 16 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पहाड़ों से घिरे
चीड़ के जंगल में
सनसनाती हवा को उसने
जब पहली दफे सुना,
बहुत छोटी थी

पर तब भी जाने क्यों
पूरी काया
सिटपिटा गई थी
मानों किसी गवाक्ष से
देख लिया हो
रहस्य कोई-
यों डर गई थी

वही सनसनाहट
वही सिटपिटाहट
वही धुकधुकाहट

किसी गवाक्ष ने
क्या दिखला कर
छेड़ दिए फिर
उसके अन्दर?