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कौन-सा आकाश / सुनीता जैन

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तुम्हारे डैनों ने
न जाने कैसे
साथ
उड़ने के बहाने
मेरे ही पर
हर लिये

अब इन अपंग
अँधेरी गुफाओं में
कौन-सा आकाश
लाऊँ?