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इस साल / सुनीता जैन
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इस साल कोयल नहीं बोली
न ऐनक उतारकर रखी
न खिड़की खोली
कोयल आई है
खिड़की खोली है
लेकिन कोई चिट्ठी
मेरे हाथ नहीं
इस अंकुर पल
तुम साथ नहीं
कमर है
मैं हूँ
गोदी में
फाईल है