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प्रेम की अनिवार्यता / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

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बहुत असंभव-से आविष्कार किए प्रेम ने
और अंततः हमें मनुष्य बनाया

लेकिन अस्वीकार की गहरी पीड़ा
उस प्रेम के हर उपकार का
ध्वंस करने पर तुली

दिया जिसने
सब कुछ न्यौछावर कर देने का भोलापन,
तर्क न करने की सहजता
और रोने की मानवीय उपलब्धि

प्रेम ने हमारी ऊबड़-खाबड़, जाहिल-सी
भाषा को कविता की कला सिखाई
और ज़िंदगी के घोर कोलाहल में
एकांत की दुआ मांगना

संभव नहीं था प्रेम के बिना
सुंदरता का अर्थ समझना

प्रेम होना ही सबसे बड़ी सफलता है
कोई असफल कैसे हो सकता है प्रेम में...