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छायाएँ / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

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सूर्य एक चरवाहा है
साथ लेकर आता
असंख्य मवेशियों का रेवड़
हर एक को
पेड़ तले बांध
ख़ुद ऊँचे पहाड़ के पीछे
कहीं सुस्ताता
शाम को घर लौटते
खोलकर ले जाता
सारे मवेशी अपने