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बाणगंगा की घाटी / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

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अंधेरे के तंबुओं में
विश्राम करते हैं तारे
शामला हिल्स की ढलानों में
जगमगाहट की बस्ती को देख
झील की ख़ूबसूरती भी हैरान
ये चाँद के संतानों की छावनी है
तारे एक रात पहले
यहीं होते हैं जमा
यहीं से फिर आकाश की ओर
भरते हैं उड़ान