Last modified on 21 अप्रैल 2018, at 13:06

सृजन / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:06, 21 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=हेमन्त देवलेकर |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कोरा काग़ज़ मुझे ललचाता है
हाथों में एक जुंबिश-सी मचलती है
और दाहिना हाथ ‘स्पाइडर मैन’ की
चमत्कारी ख़ूबी से भर उठता है
अक्षरों का जाल निकलकर
काग़ज़ को गिरफ़्त में लेता है
मैं अपनी संवेदना की लार पर
याने एक अदृश्य तार पर
झूलता हुआ दुनिया तक पहुँचता हूँ।