भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
आहट / राजेश शर्मा 'बेक़दरा'
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:01, 21 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश शर्मा 'बेक़दरा' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तुम्हारे आने की
हल्की सी आहट से
धड़कने बिखरने लगती हैं
गजल बनकर
ठीक उसी पल
जिंदगी अपने होने का
अहसास देती है
हाँ ठीक उसी पल
मेरी जिंदगी शुरू होती है!