कुछ सवालों की एक लंबी फ़ेहरिस्त रखता हूँ
हमेशा अपनी बायीं जेब मे,
जो पूछने हैं, मुझे तुम से
एक मुद्दत से बैठा हुआ थक चुका हूँ
उसी चौराहे पर
जहां से तुम हो गयी थी,मुझसे विदा
यह कहकर की, फिर मिलेंगे
और अब तुम्हारे कहे गए उस "फिर" ने
ओर उन सवालों ने कर दिया हैं
मुझे ओर मेरे उन सवालों को बूढा
जिनके उत्तर पूछने है,तुमसे
लेकिन इन अनुत्तरित प्रश्नों की श्रंखला
दिनोदिन रोज बढ़ रही है,
ठीक वैसे ही जैसे बढ़ रहा है
तुम्हारे आने का इंतजार!