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गरदिस के गुदरी / मथुरा प्रसाद 'नवीन'

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तोरा हाथ हो
तोरा गोड़ हो
ताकत हो, जोर हो
लेकिन ई की लीला हो
तोहर जांघ हो कसल
तब जंघिया काहे ढीला हो?
कपड़ा से डरऽ हा
कि केकरो सफेद हइ
हमर गमछियो में
सौ-सौ गो छेद हइ
बड़का-बड़का लोग के
पेट भरल देखऽ का
चोर अउ उचक्का के
चटे भरल देखऽ हा
बस एतनें से
अपने कमजोरी हिया लेला?
गरदिस में जीअै ले
गुदरी सिया लेला