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अपना के देखो / मथुरा प्रसाद 'नवीन'
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सीताराम सीताराम!
बबुआ, ई दुनिया हइ जाली
कमियाँ के रोटी नै
निकमियाँ के छाली
हे बबुआ,
‘सीताराम सीताराम’ बे बोली
नै ले ऐतो स्वर्ग से उड़नखटोली
सपना के नै देखो
अपना के न देखो,
जे माथा पर
मंडरा रहलो हे
मौत के कलपना के देखो
कि तोहर देह हे हाड़ हो कि नै
तोरा साथ व्यापार हो कि नै